बुधवार, मार्च 31, 2010

अलख हमारा देश है ..

जाति हमारी आत्मा ,प्राण हमारा नाम .
अलख हमारा देश है , गगन हमारा ग्राम ..
जब कभी सत्संग होता है तो प्रायः बहुत से लोग कहते हैं कि कोई ऐसी बात बताओ जिसमें थोङे में ही बहुत कुछ हो...वास्तव में कबीर का ऊपर लिखा दोहा हरेक जीव के लिये लिये अंतिम सत्य है..इससे बङा न कोई सत्य है और न ही कभी होगा..बस लिखे हुये इस परिचय को जिसको तुम भूल गये हो जानना होगा..दोहे का अर्थ ज्यादा कठिन नहीं है .इसलिये मैंने विद्धता दिखाना आवश्यक नहीं समझा .
मात पिता भगिनी सुत दारा ,ये सब माया क्रत परिवारा ...
तुलसी का ये दोहा मेरे लिये अक्सर विवाद का विषय बनता है .मैं सत्संग में अक्सर कहता हूँ कि माता पिता बहन पुत्र भाई आदि जो भी तुम्हारे सम्बन्धी है ये सब माया है . इस पर लोग बिगङ जाते है ..बाबाजी तुम तो हमारे घर को ही बिगाङने के चक्कर में हो..मैं उत्तर देता हूँ कि तुम तुलसी को मानते हो रामायण का अखंड पाठ या उसके किसी अंश जैसेसुन्दरकाण्ड
बालकाण्ड आदि का पाठ करते हो..हाँ बाबा करते हैं...तो फ़िर भैया ये मैं नहीं कह रहा ..ये तो तुलसी बाबा कह रहा है..तब हारकर उन्हें चुप रह जाना पङता है...अगर मैंने यही बात कही होती तो लोग डंडा बजा सकते थे..वास्तव में रामचरितमानस में ऐसे अनेक गूढ रहस्य वाले दोहे है जिन पर आमतौर पर लोगों का ध्यान नहीं जाता..मैं समय समय पर ऐसे दोहों का
विवेचन आपके लिये पेश करता रहूँगा..वास्तव में तुलसीदास ने इस दोहे में यह बताया है कि जिस परिवार में तुझे इतनी आसक्ति है ये कभी पूर्वजन्मों की आसक्ति का ही फ़ल है और तू मुक्त और अमरलोक का आत्मा अपनी आसक्ति के कारण ही फ़ँसा दुर्दशा को प्राप्त है..हकीकत में तो तेरा कोई परिवार ही नही है ..इसका ये अर्थ नहीं है कि अपने परिवार को ही दुश्मन मान लो . बल्कि ये समस्त जीव जगत ही तेरा परिवार है और तू सबसे प्रेम कर मोह न कर ..ये कैसा प्रेम है और ये कैसा रहस्य है ये ढाई अक्षर का महामन्त्र जिसमें कि मन से परे देखने की शक्ति है हमें अपने आप बताने लगता है .
गांठी दाम न बाँधहि नहिं नारी से नेह ..कह कबीर उन संत की हम लें चरनन की खेह ..
जो जेव में एक भी पैसा न रखता हो और औरत से (कामवासना रूपी लगाव ) कोई लगाव न रखता हो .कबीर कहते है कि ऐसे संत की चरनधूलि पाकर कोई भी धन्य हो सकता है..वास्तव में कबीर ने सच्चे संत और गुरु की तरफ़ इशारा किया है सच्चे संत के ये दो प्रमुख लक्षण हैं .

1 टिप्पणी:

mukta mandla ने कहा…

मेरा ब्लागिंग उद्देश्य गूढ रहस्यों को
आपस में बांटना और ग्यानीजनों से
प्राप्त करना भी है..इसलिये ये आवश्यक नहीं
कि आप पोस्ट के बारे में ही कमेंट करे कोई
दुर्लभ ग्यान या रोचक जानकारी आप सहर्ष
टिप्पणी रूप में पोस्ट कर सकते हैं ..आप सब का हार्दिक
धन्यवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com

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