मंगलवार, मार्च 30, 2010

इतिहास झूठा हो सकता है..?

एक बार मैं श्री महाराज जी से पुराण आदि ग्रन्थों पर चर्चा कर रहा था और अपने सटीक तर्कों से उनमें गलतियां निकाल रहा था..महाराज जी ने कहा , मूल ग्रन्थ गुप्त और संस्क्रत भाषा में होने से उनका ग्यान हरेक के लिये समझना बेहद जटिल था..और आज भी है.इसलिये जब अलग अलग लोगों ने उन पर टिप्पणियां की तो धीरे धीरे उनमें काफ़ी बदलाव हो गया और अपने को विद्धान मानने वाले लोगों ने अपनी तरफ़ से उसमें और मसाला भी जोङ दिया इस तरह मूल विषय लगभग लुप्त हो गया और नयी चीज बन गयी . मूल ग्रन्थ अनुभव पर आधारित थे और विभिन्न टीकाएं अध्ययन पर आधारित हैं . कबीर ने कहा है कि तू कहता कागज की लेखी ..मैं कहता आँखिन की देखी..इसलिये आज जो भी धर्म साहित्य उपलब्ध है उसमें काफ़ी मिलावट हो चुकी है और इसीलिये वो भ्रमित कर देने वाला हो गया है..लेकिन मेरी समझ में महाराज जी की बात ठीक से नही आयी तब उन्होनें एक घटना सुनायी..एक आदमी इतिहास पर शोध कर रहा था .उसका मानना था कि इतिहास में काफ़ी कुछ गलत लिखा है .वह ढेर सारी पुस्तकों से सामग्री लेता था और शोध के द्वारा सटीक बात खोजकर उसको नोट करता जाता था..तभी उसकी पत्नी ने बताया कि पङोस में एक आदमीकी हत्या हो गयी है . उसने पूछा कि किसने की है ?
उसकी पत्नी ने कहा कि सही पता नही चल रहा कोई कहता
है कि वह अपने लङकों से असंतुष्ट था सो जायदाद के लिये
लङकों ने मार डाला..कोई कहता है कि उसकी लङकी का चालचलन ठीक नहीं था सो लङकी ने ही मरवा डाला
कोई कहता है वह अपने घर की स्थिति से काफ़ी परेशान था और खुद ही मर गया..कोई कहता है कि उसकी रंजिश
चल रही थी सो उसने मरवा डाला..कोई कहता है कि वह दूसरी औरत रखता था इस चक्कर में मारा गया था .दरअसल आंशिक रूप से सभी बातें सत्य थी पर जिस कारण से वो मरा वो पता नहीं चल रहा था उस आदमी ने पता लगाने की बहुत कोशिश की पर पता नहीं चला ..उसने कहा कि जब मेरे घर के पीछे की ये कल की घटना मुझे ठीक से पता नहीं चल रही तो हजारों साल पहले इतिहास में क्या घटा होगा इसका पता कैसे चलेगा..उसने अपने सभी शोधपत्र जलाकर फ़ेंक दिये..और निर्णय लिया जो तुम्हारे अनुभव में आता है वही सबसे बङा सत्य है..

1 टिप्पणी:

mukta mandla ने कहा…

मेरा ब्लागिंग उद्देश्य गूढ रहस्यों को
आपस में बांटना और ग्यानीजनों से
प्राप्त करना भी है..इसलिये ये आवश्यक नहीं
कि आप पोस्ट के बारे में ही कमेंट करे कोई
दुर्लभ ग्यान या रोचक जानकारी आप सहर्ष
टिप्पणी रूप में पोस्ट कर सकते हैं ..आप सब का हार्दिक
धन्यवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com

आपका स्वागत है

मेरी फ़ोटो
सहज सरस मधुर मनोहर भावपूर्ण कथा कार्यक्रम हेतु सम्पर्क करें। ------------- बालसाध्वी सुश्री अरुणा देवी (देवीजी) (सरस कथावाचक, भागवताचार्य) आश्रम श्रीधाम, वृन्दावन (उत्तर प्रदेश) भारत सम्पर्क न. - 78953 91377 -------------------- Baalsadhvi Sushri Aruna Devi (Devi ji) (Saras Kathavachak, Bhagvatacharya) Aashram Shridham vrindavan (u. p) India Contact no - 78953 91377