
कला के भी आप कलाकार होंगे तो लोग आपको ग्यानी मानेंगे
लेकिन आप जब धार्मिक चर्चा करेंगे तो उसमें अपना ग्यान
बताने वाले और विरोध करने वाले बङी संख्या में होंगे..कल
की वार्ता में बहस का मुद्दा ये था कि किसी पुराण या रामायण
कथा भागवत या कोई अखंड पाठ बार बार दोहराने का कुछ
लाभ है.लोगों का मानना था कि इससे मुक्ति हो जायेगी..और
बस इतना ही बहुत है..मेरा मानना थोङा अलग था..जैसे आप
प्रधानमन्त्री या किसी सफ़ल आदमी का जीवनपरिचय बार बार पङते रहें तो क्या आप प्रधानमन्त्री बन जायेंगे ..कम से कम मेरे विचार में तो ऐसा नहीं हो सकता .किसी सफ़ल आदमी का जीवन परिचय पङना प्रेरणा का तो कार्य कर सकता है पर पङने से ही हम उसके समान हो जाँय ऐसा नही हो सकता है..पर हम असल व्यवहार ऐसा ही करते हैं ..वास्तव में ये वेद पुराण या अन्य धार्मिक ग्रन्थ भवसागर से पार जाने के लिये भगवान की चिठ्ठियां मात्र हैं इनमें लिखे पते को पढ लो कैसे जाना है उसका मतलव समझ लो और धीरे धीरे चलने की व्यवस्था करो बार बार चिठ्ठी ही पङते रहोगे तो जाओगे कब .ये अनमोल जीवन जो साढे बारह लाख साल की चार प्रकार की चौरासी लाख योनियों को भोगने के बाद मिलता है फ़िर सहज ही नहीं मिलने बाला..लोग कहते हैं जो तुम कह रहे हो उसका क्या प्रमाण है..मैं कहता हूँ इस दुनियां में अमेरिका है ? हाँ है
मैं कहता हूँ इसका क्या प्रमाण है..सामने वाला कहता है कि प्रमाण चाहिये तो अमेरिका चलकर आँखों से देखना
होगा..मैं कहता हूँ प्रभु की सत्ता को जानना है धर्म ग्रन्थों में लिखी बातों का सत्य जानना है तो आपको नामजहाज की सवारी पर बैठना होगा..ढाई अक्षर का ये नाम जहाज आपको अद्रश्य और अलौकिक दुनिया में ले जायेगा ये निश्चित है औरये भी मैं नहीं शंकरजी .गौतम, बुद्ध, महावीर ,नानक ,कबीर तुलसी, रामक्रष्ण परमहँस ,दादू ,मीरा,विवेकानन्द...लिस्ट लम्बी है ने कहा है..
कहे हूँ कह जात हूँ , कहूँ बजाकर ढोल.स्वांसा खाली जात है तीन लोक का मोल .??
रैन गवांयी सोय के , दिवस गवांया खाय ...मानस जन्म अमोल था कोङी बदले जाय .??
1 टिप्पणी:
मेरा ब्लागिंग उद्देश्य गूढ रहस्यों को
आपस में बांटना और ग्यानीजनों से
प्राप्त करना भी है..इसलिये ये आवश्यक नहीं
कि आप पोस्ट के बारे में ही कमेंट करे कोई
दुर्लभ ग्यान या रोचक जानकारी आप सहर्ष
टिप्पणी रूप में पोस्ट कर सकते हैं ..आप सब का हार्दिक
धन्यवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
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