
है और दशरथ पुत्र राम विष्णु के अवतार थे .अगर आप भी ऐसा ही मानते हैं तो ये गलत है पहले तो बहुत ग्रन्थों के शोध की बात छोङ दें घर घर में मिलने वाली तुलसी रामायण ही इसका उत्तर दे रही है कि त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश अनगिनत
हैं ये जितनी सृष्टियां हैं उनमें तीन पदवी हैं और हर सृष्टि में हैं इनके पिता का नाम निरंजन है और माता का नाम आध्याशक्ति है ये दोनों सतपुरुष के अंश है . निरंजन को ही राम और आध्याशक्ति को महामाया या देवी कहा जाता है .इन दोनों के वारे में अधिक जानकारी देना साधारण जीव के लिये हानिकारक है..पर इनसे ऊपर भी कई शक्तियां है जो गुप्त हैं और संतमत के उन साधुओं (साधक) को ही इनका बोध
कराया जाता है जो पूर्ण समर्पित होकर साधना करते है
और हंस ग्यान से ऊपर उठ चुके है अन्यथा परमात्मा के
आदेशानुसार जन सामान्य को ये ग्यान देना दन्डनीय
अपराध है .हाँ एक बात जो किसी को भी बतायी जा सकती है वो ये है कि सभी महाशक्तियों का मालिक परमात्मा है और वो किसी भी उपाधि से रहित है अर्थात उसकी कोई ड्यूटी नहीं है .सीता के रूप में देवी महामाया का अवतार था वाल्मीक और तुलसी ने कुछ जगहों पर स्पष्ट भी किया है कि राम सीता लक्ष्मण इन तीनों को सूक्ष्म दृष्टि से राम भगवान( न कि परमात्मा ) सीता (माया) लक्ष्मण (जीव) यानी कि जीव और रमता के बीच में माया . राम या रंरकार या निरंजन या अलख निरंजन (सभी एक ही ) इस को भी छोटा नहीं जानना चाहिये..यहाँ तक का भी दुर्लभ ग्यान है . यहाँ एक बात उल्लेखनीय है ये जीव की किसी भी ताकत से ग्यान को नहीं पाया जा सकता है..ये इस बात पर निर्भर हैं कि उसे गुरु कितनी ऊँचाई तक का मिला है आगे अगर कोई उम्मीद होती है तो वह जीव के समर्पण भाव पर निर्भर है . साधना की सही आयु तीस से साठ तक होती है.इसमें चूक होने पर निसंदेह आपको पशु पक्षी कीट आदि निकृष्ट योनियों में जाना होगा इसलिये यदि आपके पास वक्त है तो अब भी चेत जाओ
2 टिप्पणियां:
sir,
ish sandesh ka apko bhot bhot dhanyabad.
मेरा ब्लागिंग उद्देश्य गूढ रहस्यों को
आपस में बांटना और ग्यानीजनों से
प्राप्त करना भी है..इसलिये ये आवश्यक नहीं
कि आप पोस्ट के बारे में ही कमेंट करे कोई
दुर्लभ ग्यान या रोचक जानकारी आप सहर्ष
टिप्पणी रूप में पोस्ट कर सकते हैं ..आप सब का हार्दिक
धन्यवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें